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श्री गुरु नानक देव जी की जयंती पर विशाल नगर कीर्तन - शोभायात्रा
गुरु नानक देव जी की जयंती को ‘गुरु पर्व’ या ‘गुरुपुरब’ के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे। उनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 में हुआ था, और इसलिए उनकी जयंती को ‘प्रकाश पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर देशभर में भव्य शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं।
*श्री गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व पर राजधानी रायपुर में 10 नवंबर को विशाल नगर कीर्तन*
श्री गुरु नानक देव जी के पावन प्रकाश पर्व की खुशी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया में,पंज प्यारों की अगुवाई में खालसाई शान के साथ रविवार 10 नवंबर को दोपहर 2:00 बजे गुरुद्वारा स्टेशन रोड रायपुर से विशाल नगर कीर्तन आरंभ होकर संजय गांधी चौक, श्री गुरु नानक चौक,एम जी रोड, शारदा चौक, जय स्तंभ चौक, शास्त्री चौक, कचहरी चौक, खालसा स्कूल के सामने से होकर गुरुद्वारा गोविंद नगर पंडरी में सम्पन्न होगा |
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सुरेंद्र सिंह छाबड़ा ने बताया कि श्री गुरू नानक देव जी की जयंती के उपलक्ष में जयंती से पहले विशाल नगर कीर्तन (शोभायात्रा) निकालने की परंपरा रही है जिसका पालन आज तक सिक्ख समाज करता है |
इस वर्ष भी श्री गुरू नानक देव जी की जयंती से पूर्व आयोजित नगर कीर्तन खलसाई शान के साथ निकाला जाएगा |
प्रभातफेरी में भी बड़ी संख्या में संगत पहुंच रही है इस वर्ष शौर्य का प्रतीक पंजाब की गुरदीप सिंह गतका पार्टी,जबलपुर की श्याम बैंड,उड़ीसा का घन्टा बाजा, सिक्ख बैंड विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगे नगर कीर्तन में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पालकी की अगुवाई कर रहे पंज प्यारों के आगे सफाई सेवा कर फूलों की सेज सजाई जाएगी |
इस विशेष अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सुरेंद्र सिंह छाबड़ा,महेंद्र सिंह छाबड़ा,इंदरजीत सिंह छाबड़ा, कल्याण सिंह पसरीजा, तेजिंदर सिंह होरा,मंजीत सिंह सलूजा,गुरमीत सिंह गुरदत्ता, हरजीत सिंह अजमानी, गुरदीप सिंह छाबड़ा, कुलदीप सिंह चावला, भूपेंद्र सिंह मक्कड़,सतपाल सिंह खनूजा, निरंजन सिंह खनूजा,कुलजीत सिंह मक्कड़,तरजीत सिंह मल्होत्रा,रजिंदर सिंह सलूजा,रविंदर सिंह दत्ता,महेंदर पाल सिंह छाबड़ा,भगत सिंह छाबड़ा, इंदरपाल सिह अजमानी,रश्मित सिंह टुटेजा,इंदरजीत सिंह सलूजा,रविंदर सिंह चावला,आविन्दर सिंह सलूजा,बलजीत सिंह भल्ला,गुरुचरण सिंह टांक, प्रीतपाल सिंह मिस्सन,कुलवंत सिंह अरोरा,चरण सिंह अरोरा,मनीष चंदानी ने समस्त गुरुनानक नाम लेवा संगत से अपने कारोबार बंद कर महिलाएं सफेद सूट नीला दुपट्टा, पुरुष सफेद ड्रेस नीली दस्तार सजा कर नगर कीर्तन में शामिल होने की अपील की है |
*शोभायात्रा का महत्व और आयोजन*
गुरु नानक देव जी की जयंती पर आयोजित होने वाली शोभायात्रा, एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होता है जिसमें लोग पूरे श्रद्धा भाव के साथ हिस्सा लेते हैं। इस यात्रा का उद्देश्य गुरु नानक देव जी के उपदेशों और जीवन से लोगों को अवगत कराना है। यात्रा का आरंभ प्रायः किसी प्रमुख गुरुद्वारे से किया जाता है और इसे नगर की विभिन्न गलियों और सड़कों पर घुमाया जाता है।
*शोभायात्रा की विशेषताएं*
1. नगर कीर्तन: शोभायात्रा में सबसे पहले ‘नगर कीर्तन’ निकाला जाता है। नगर कीर्तन का अर्थ है कि संगत (समुदाय) मिलकर कीर्तन करते हुए नगर में यात्रा करती है। इसमें गुरु ग्रंथ साहिब को सजी हुई पालकी में रखा जाता है और इसे सबसे आगे चलाया जाता है। कीर्तन की धुन से पूरी शोभायात्रा एक धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल में रहती है।
2. पंज प्यारे: शोभायात्रा में पंज प्यारे पारंपरिक वेशभूषा में श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की अगुवाई करते पैदल चलते हैं |
3. गुरबाणी और शबद कीर्तन: शोभायात्रा के दौरान गुरबाणी और शबद कीर्तन गाए जाते हैं। यह शबद (भजन) गुरु नानक देव जी के जीवन और उनकी शिक्षाओं से जुड़े होते हैं, जो श्रद्धालुओं को अध्यात्मिक रूप से प्रेरित करते हैं।
4. निशान साहिब (ध्वज): शोभायात्रा में निशान साहिब, सिख धर्म का पवित्र ध्वज, ऊँचा उठाया जाता है। यह ध्वज सिख धर्म के सम्मान और अखंडता का प्रतीक है।
5. गटका प्रदर्शन: कुछ शोभायात्राओं में सिख योद्धा ‘गटका’ नामक पारंपरिक युद्ध कला का प्रदर्शन करते हैं। गटका एक शौर्यपूर्ण मार्शल आर्ट है जिसमें तलवारों का कुशलता से प्रदर्शन किया जाता है। यह प्रदर्शन सिख वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है।
6. लंगर सेवा: शोभायात्रा में लंगर (भोजन सेवा) का आयोजन भी किया जाता है। भक्तों और यात्रियों को निःशुल्क भोजन और प्रसाद वितरण किया जाता है। इस सेवा का उद्देश्य गुरु नानक के द्वारा दी गई सेवा और समर्पण की भावना को प्रकट करना है।
शोभायात्रा का मार्ग और श्रद्धालुओं का उत्साह
इस शोभायात्रा का मार्ग गुरुद्वारे से शुरू होकर नगर के विभिन्न हिस्सों से होकर गुजरता है। हर तरफ रंग-बिरंगे फूलों और रोशनी से सजी हुई गलियाँ होती हैं। शोभायात्रा के मार्ग पर लोग भक्ति-भाव से पंक्तिबद्ध होकर खड़े होते हैं और गुरु नानक देव जी के जयकारे लगाते हैं। श्रद्धालु सड़कों पर साफ-सफाई करते हैं और गुरुद्वारे के सेवादार पूरे रास्ते में पानी और अन्य जरूरत की वस्तुएँ उपलब्ध कराते हैं।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं की झलक
इस शोभायात्रा के दौरान गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं पर भी जोर दिया जाता है, जैसे - एकता, समानता, परोपकार, और भगवान के प्रति अडिग विश्वास। उनका संदेश ‘नाम जपो, किरत करो, वंड छको’ (भगवान का नाम जपना, मेहनत करना, और दूसरों के साथ बाँटना) हर किसी को एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देता है।
गुरु नानक देव जी की जयंती पर निकाली जाने वाली यह शोभायात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि समाज को भाईचारे, मानवता, और शांति का संदेश देने वाला एक महत्वपूर्ण आयोजन भी है। इस शोभायात्रा के माध्यम से लोग गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को आत्मसात करते हैं और उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा पाते हैं।
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