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मुख्यमंत्री पद के पहले नंबर की रेस में शामिल हैं-अरुण साव
अरुण साव की खासियत जब पार्टी को कांग्रेस से 2018 के चुनाव में हार मिली तो उसके बाद संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी अरुण साव को सौंपी गई थी ये बिलासपुर से लोकसभा सांसद हैं। इस बार लोरमी से विधायक का चुनाव लड़े और भारी वोटों से विजई हुए। अरुण साव को रणनीतिकार भी कहते हैं। इसके अलावा इस बार इनके प्रदेश अध्यक्ष रहते भाजपा ने जोरदार प्रदर्शन किया है। संघ के भी ये करीबी माने जाते है। इसी कारण से ये भी मुख्यमंत्री पद के पहले नंबर की रेस में शामिल हैं।
अरुण साव छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष हैं और सूबे में बीजेपी के चुनाव अभियान की अगुवाई की. साल 2003 में जब बीजेपी पहली बार छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज हुई थी, तब भी पार्टी बिना सीएम फेस घोषित किए लड़ी थी. तब चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने जब सरकार बनाई, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंप दी थी. इस बार भी हालात कमोबेश वैसे ही हैं. बीजेपी अगर सरकार बनाती है तो मुख्यमंत्री पद पर प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का दावा मजबूत माना जा रहा है.
केवल प्रदेश अध्यक्ष होना भर ही नहीं, जातीय समीकरण भी अरुण साव के पक्ष में नजर आ रहे हैं. अरुण साव ओबीसी वर्ग के साहू समाज से आते हैं. साहू समाज छत्तीसगढ़ की सियासत में मजबूत दखल रखता है. सूबे में साहू समाज की आबादी करीब 12 फीसदी है. छत्तीसगढ़ में साहू समाज की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा था कि यहां जो साहू समाज है, इसी समाज को गुजरात में मोदी कहा जाता है.
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